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BSEB Solutions for भारत से हम क्या सीखें? Class 10 Hindi Matric Godhuli

BSEB Solutions for भारत से हम क्या सीखें? (Bharat se Ham kya Sikhe?) Class 10 Hindi Godhuli Part 2 Bihar Board

भारत से हम क्या सीखें? - मैक्समूलर प्रश्नोत्तर 

Very Short Questions Answers (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. जनरल कर्मिघम ने कौन-सी रिपोर्ट तैयार की? … या, जनरल कमिंघम का महत्त्व क्या है ?
उत्तर
जनरल कमित्रम ने भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट तैयार की।


प्रश्न 2. वारेन हेस्टिंग्स को कहाँ दारिस.नामक सोने के सिक्के मिले ?
उत्तर
वारेन हेस्टिंग्स को वाराणसी के पास दारिस नामक सोने के 172 सिक्के मिले।


प्रश्न 3. भारत में प्राचीन काल में स्थानीय शासन की कौन-सी प्रणाली प्रचलित थी?
उसर

ग्राम-पंचायत द्वारा स्थानीय शासन चलता था।


प्रश्न 4. मैक्समूलर ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरुचि रखनेवालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है ?
उत्तर

मैक्समूलर ने भू-विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जन्तु-विज्ञान/ नृवंश विद्या, पुरातात्विक, इतिहास, भाषा आदि विभिन्न क्षेत्रों में अभिरुचि रखनेवालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है।


Short Question Answers (लघु उत्तरीय प्रश्न)


प्रश्न 1. समस्त भूमंडल में सर्वविद् सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर
मैक्समूलर जब भारत की भूमि पर आया तो उसको यहाँ की धरती को स्वर्ग जैसा अनुभव हुआ। यहाँ के इतिहास, रहन-सहन, रीति-रिवाज, भाषा, साहित्य तथा पुरातत्वों को देखकर उसने जो आनन्द प्राप्त किया उस आनन्द को भाषा के रूप में व्यक्त करते हुए महान दार्शनिक विद्वान मैक्समूलर ने कहा- "समस्त भूमंडल में सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है।"

प्रश्न 2. लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों ?
उत्तर
लेखक मैक्समूलर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन गाँव में हो सकते हैं। क्योंकि भारत के गाँवों में ही प्राकृतिक और प्राचीन भारतीय रीति-रिवाज, भाषा, रहन-सहन के तौर-तरीके तथा भारत के अवशेष गाँव में अध्ययन और खोज के लिए पड़े हैं न कि कृत्रिम शहर में।

प्रश्न 3. भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता किनके लिए वांछनीय है और क्यों ?
उत्तर
भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता यूरोपियन लोगों के लिए वांछनीय है क्योंकि प्राचीन भारत ही नहीं, आज का भारत भी विविध समस्याओं के निदान में सहायक है।

प्रश्न 4. लेखन ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरुचि रखने वालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है ?
उत्तर
लेखक मैक्समूलर ने भू-विज्ञान, वनस्पति-विज्ञान, जीव-जन्तु विज्ञान, पुरातत्व-विज्ञान, दैवत-विज्ञान, भाषा-विज्ञान, इतिहास, साहित्य, कानून शास्त्र अथवा राजनीतिक ज्ञान आदि विशेष क्षेत्रों में अभिरुचि रखने वालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है।

प्रश्न 5. लेखक ने नीतिकथाओं के क्षेत्र में किस तरहं भारतीय अवदान को रेखांकित किया है ?
उत्तर
लेखक ने नीति कथाओं के क्षेत्र में भारतीय अवदान को रेखांकित करते हुए कहा है - नीति कथाओं के अध्ययन क्षेत्र में भी भारत के कारण नव जीवन का संचार हो चुका है, क्योंकि भारत के कारण ही समय-समय पर नानाविध साधनों आर मार्गों के द्वारा. अनेक नीति कथाएँ पूर्व से पश्चिम की ओर आती रही हैं।

प्रश्न 6. भारत की ग्राम पंचायतों को किस अर्थ में और किनके लिए लेखक ने महत्वपूर्ण बतलाया है ? स्पष्ट करे|
उत्तर
भारत की ग्राम पंचायतों को अत्यन्त सरल राजनैतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से सम्बद्ध प्राचीन युग के कानून के पुरातन रूपों के बारे में जो अनुसंधान हुए हैं, उनके महत्व और वैशिष्ट्य की परख सकने के अर्थ में राजनीतिज्ञों के लिए महत्त्वपूर्ण बतलाया है।

प्रश्न 7. धमों की दष्टि से भारत का क्या महत्व है?
उत्तर
धर्मो की दृष्टि से भारत का महत्व बताते हुए लेखक ने कहा है कि धर्म का वास्तविक उद्भव, उसके प्राकृतिक विकास अथवा क्षीयमान रूप का प्रत्यक्ष परिचय भारत में मिलता है। यह भारत ब्राह्मण धर्म, वैदिक धर्म वाला तथा बौद्ध धर्म की जननी और पारसी धर्म की शरण-स्थली है।

प्रश्न 8. भारत किस तरह अतीत और सुदूर भविष्य को जोड़ता है ? स्पष्ट करें।
उत्तर
भारत को जानने की इच्छा रखने वाले लोग जब भारत में अनुसंधान करते हैं तो उनकी जैसी भी समस्या हो चाहे शिक्षा-क्षेत्र में, कानून बनाने पक्ष में, अथवा शासन पद्धति के पक्ष में उस समस्या का हल खोजने के लिए भारतीय अतीत का भी यहाँ अध्ययन तथा समस्या भी हल हो जाता है जो भविष्य के लिए भी उपयुक्त है। अतः भारत अतीत और सुदूर भविष्य को जोड़ता है।

प्रश्न 9. लेखक वास्तविक इतिहास किसे मानता है और क्यों ?
उत्तर
लेखक वास्तविक इतिहासे भारत के इतिहास को माना है क्योंकि मानव इतिहास से सम्बद्ध अत्यन्त बहुमूल्य और अत्यन्त उपादेय प्रमाणिक सामग्री का इतिहास | भारत का इतिहास है। क्योंकि भारतीय इतिहास के किसी एक अध्याय के बराबर विश्व के किसी भी देश का इतिहास सम्पूर्ण अध्याय से भी अधिक महत्व रखता है तथा इसका साहित्य भंडार विश्व के अन्य भाषाओं के साहित्य से अधिक समृद्ध है।

प्रश्न 10. लेखक ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को किसकी तरह सपने देखने के लिए प्रेरित किया है और क्यों ?
उत्तर
लेखक मक्समूलर ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को सर विलियम जोन्स की तरह सपने देखने के लिए प्रेरित किया है क्योंकि भारत जो पहले (सर विलियम जोन्स) के समय में था वहीं अब भी है। यहाँ आकर आप एक | से एक शानदार खोज कार्य कर सकते हैं। ,

प्रश्न 11. लेखक ने नया सिकंदर किसे कहा है ? ऐसा कहना क्या उचित है? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
लेखक ने नया सिकंदर विविध क्षेत्रों में अध्ययन, खोज और अनुसंधान की इच्छा से भारत आने वाले पाश्चात्य जगत के लोगों को कहा है और लेखक का कहना भी उचित है।लेखक का सिकंदर कहने का अभिप्राय है कि सिकन्दर की तरह आकर आप भारत से सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं।भारत के सिंधु नदी का मैदान और गंगा नदी का मैदान उनके अध्ययन, अनुसंधान तथा आपसी संबंध स्थापित करने के लिए पर्याप्त है।

Long Question Answer (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)


प्रश्न 1. लेखक ने वारेन हेस्टिंग्स से संबंधित किस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला दिया है और क्यों?
उत्तर
लेखक मैक्समूलर ने अपने आलेख में वारेन हेस्टिंग्स से संबंधित उस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला दिया है जिससे वाराणसी के पास से उसे 172 दारिस नामक सोने का सिक्का प्राप्त हुआ जिस सिक्के को वारे हेस्टिंग्स ने ईस्ट-इण्डिया कम्पनी के पास इसलिए भिजवाया था कि-दुर्लभ प्राचीन यह सिक्का सर्वोत्तम वस्तु में गिना जायगा। लेकिन उन सिक्कों को ईस्ट इण्डिया कम्पनी के निदेशक सामान्य सोने का सिक्का मानकर गलवा दिया। जब तक वारेन हेस्टिंग्स इंगलैण्ड वापस आये, सिक्का गल चका था। मैक्समलर ने इस दर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला इसलिए दिया कि पुनः किसी से ऐसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो।

प्रश्न 2. भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध के प्राचीन प्रमाण लेखक ने क्या दिखाए हैं?
उत्तर
भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध के प्राचीन प्रमाण लेखक ने बाईबिल को दिखाते हुए कहा है कि संस्कृत शब्दों के आधार पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि हाथी दाँत, बन्दर मोर और चंदन आदि जिन वस्तुओं का व्यापार यूरोप में होता था वह केवल भारत से ही निर्यात सम्भव है। जिसके निर्यात की बात बाइबल में भी लिखी है। ''शाहनामा' के रचनाकाल (दसवीं-ग्यारहवीं सदी) में भी यूरोप भारत का व्यापारिक सम्बन्ध था जो ''शाहनामा'' के अध्ययन से जानकारी प्राप्त होती है।

प्रश्न 3. मैक्समूलर ने संस्कृत की कौन-सी विशेषताएँ और महत्त्व बतलाये हैं?
उत्तर
मैक्समूलर ने संस्कृत की विशेषताओं में:
  • पहली विशेषता इस भाषा की प्राचीनता जिसका काल विश्व की अन्य भाषा से पूर्व का काल है।
  • दूसरी विशेषता - आज के संस्कृत में भी प्राचीनता का तत्व भलीभाँति सुरक्षित है।
  • तीसरी विशेषता - यह भाषा अन्य भाषा के बारे में जानने का मजबूत आधार है।
इसके महत्व के पक्ष में कहा है यह विश्व की अन्य भाषाओं की अग्रजा है जिसका गुण अथवा कुछ समरूपता विश्व के प्रसिद्ध सभी भाषाओं में देखी जाती है इसके महत्व के प्रतिपादन के लिए (मैक्समूलर) ने संस्कृत को अग्निः बोला जाता है तो लैटिन भाषा में इग्निस तथा लिथ्वानियन भाषा में उग्निस बोला जाता है। उसी प्रकार संस्कृत में चूहा को मूषः संस्कृत में ग्रीक भाषा में मूस, लैटिन में मस आदि शब्दों का प्रमाण दिया है।

प्रश्न 4. संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं के अध्ययन से पाश्चात्य जगत् को प्रमुख लाभ क्या-क्या हुए ?
उत्तर
संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं के अध्ययन से पाश्चात्य जगत - (पश्चिम के देशों) को प्रमुख लाभ बताते हुए मैक्समूलर ने कहा-संस्कृत तथा अन्य भारतीय भाषाओं के अध्ययन से विश्व के लोगों में पारिवारिक जैसा सम्बन्ध वन गया है तथा हम पाश्चात्य जगत वाले जान पाये कि हम मानवों का जीवन यात्रा कहाँ से आरम्भ होता है। कौन-कौन-सा मार्ग अपनाना चाहिए और कहाँ पहुँचना चाहिए तथा विविध भारतीय भाषाओं का अध्ययन हमें बताता है कि भारत के साथ पाश्चात्य जगत का सम्बन्ध बहुत पुराना है।

गद्यांशों पर आधारित प्रश्नोत्तर

1. सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण कौन-सा देश है, यदि आप मुझे इस भूमण्डल का अवलोकन करने के लिए कहें तो बलाऊँगा कि वह देश है-भारत। भारत, जहाँ भूतल पर ही स्वर्ग की छटा निखर रही है। यदि आप यह जानना चाहें कि मानव मस्तिष्क की उत्कृटतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार किस देश ने किया है और किसने जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं पर विचार कर उनमें से कइयों के ऐसे समाधान ढूंढ निकाले हैं कि प्लेटो और काण्ट जैसे दार्शनिकों का अध्ययन करनेवाले हम यूरोपियन लोगों के लिए भी वे मनन के योग्य हैं, तो मैं यहाँ भी भारत ही का नाम लूंगा। और, यदि यूनानी, रोमन और सेमेटिक जाति के यहूदियों की विचारधारा में ही सदा अवगाहन करते रहनेवाले हम यूरोपियनों को ऐसा कौन-सा साहित्य पढ़ना चाहिए जिससे हमारे जीवन का अंतरतम परिपूर्ण, अधिक-सर्वांगीण, अधिक विश्वव्यापी, यूँ कहें कि सम्पूर्णतया मानवीय बन जाये, और यह जीवन ही क्यों, अगला जन्म तथा शाश्वत. जीवन भी सुधर जाये, तो मैं एक बार फिर भारत ही का नाम लूँगा।

प्रश्न.
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) किस देश में भूतल परं स्वर्ग की छटा दिखती है ?
(ग) यूरोपियन के लिए चिंतन करने योग्य भूमि लेखक ने किसे माना है?
(घ) भारत किस विषय में परिपूर्ण कहा गया है ?
(ङ) भारत ने किसका साक्षात्कार सर्वप्रथम किया है ?

उत्तर

(क) पाठ का नाम-भारत से हम क्या सीखें।
लेखक का नाम मैक्समूलर।
(ख) भारत की भूतल पर स्वर्ग की छटा दिखती है।
(ग) भारत-भूमि को।
(घ) सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण भारत को माना गया है।
(ङ) भारत ने मानव मस्तिष्क की उत्कृष्टतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार किया


2. यदि आपके मन में पुराने सिक्कों के लिए लगाव है, तो भारतभूमि में ईरानी, केरियन, श्रेसियन, पार्थियन, यूनानी, मेकेडिनियन, शकों, रोमन और मुस्लिम शासकों के सिक्के प्रचुर परिणाम में उपलब्ध होंगे। जब वारेन हेस्टिंग्स भारत का गवर्नर जनरल था तो वाराणसी के पास उसे 172 दारिस नामक सोने के सिक्कों से भरा एक घड़ा मिला था। वारेन हेस्टिंग्स ने अपने मालिक ईस्ट इण्डिया कम्पनी के निदेशक मंडल की सेवा में सोने के सिक्के यह समझकर भिजवा दिये कि यह एक ऐसा उपहार होगा जिसकी गणना उसके द्वारा प्रेषित सर्वोत्तम दुर्लभ वस्तुओं में की जाएगी और इस प्रकार वह स्वयं को अपने मालिकों की दृष्टि में एक महान उदार व्यक्ति प्रमाणित कर देगा। किन्तु उन दुर्लभ प्राचीन स्वर्ण मुद्राओं की यही नियति थी कि कम्पनी के निदेशक उनका ऐतिहासिक महत्त्व समझ ही न पाए और उन्होंने उन मुद्राओं को गला डाला। जब वारेन हेस्टिंग्स इंग्लैंड लौटा तो वे स्वर्ण मुद्राएँ नष्ट हो चुकी थीं। अब यह आप लोगों पर निर्भर करता है कि आप ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भविष्य में कभी न होने दें।

प्रश्न.
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) भारत भूमि में प्रचुर परिमाण में कौन-से सिक्के उपलब्ध होंगे?
(ग) वारेन हेस्टिंग्स को वाराणसी के पास क्या मिला?
(घ) उसने वाराणसी में प्राप्त वस्तु को किसे भेंट में दे दिया? (ङ) निदेशक ने मुद्राओं को क्या किया?

उत्तर

(क) पाठ का नाम भारत से हम क्या सीखें।
लेखक का नाम मैक्समूलर।

(ख) भारत में ईरानी, केरियन, यूनानी, शकों, रोमन एवं मुस्लिम शासकों के सिक्के उपलब्ध . मिलेंगे।

(ग) स्वर्ण मुद्राओं से भरा एक घड़ा।

(घ) ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक मंडल को।

(ङ) निदेशक ने मुद्राओं को गला डाला।


3. संस्कृत की सबसे पहली विशेषता है इसकी प्राचीनता, क्योंकि हम जानते हैं कि ग्रीक भाषा से भी संस्कृत का काल पुराना है। जिस रूप में आज यह हम तक पहुंची है, उसमें भी अत्यन्त प्राचीन तत्त्व भली-भाँति सुरक्षित है। ग्रीक और लैटिन भाषाएँ लोगों को सदियों से ज्ञात हैं और निस्संदेह यह भी अनुभव किया जाता रहा था कि इन दोनों भाषाओं में कुछ-न-कुछ साम्य अवश्य है। किन्तु, समस्या यह थी कि इन दोनों भाषाओं में विद्यमान समानता को व्यक्त कैसे किया जाए? कभी ऐसा होता था कि किसी ग्रीक शब्द की निर्माण-प्रक्रिया में लैटिन को कुंजी मान लिया जाता था और कभी किसी लैटिन शब्द के रहस्यों को खोलने के लिए ग्रीक का सहारा लेना पड़ता था। उसके बाद जब गॉथिक और एंग्लो-सैक्सन जैसी ट्यूटानिक भाषाओं, पुरानी केल्टिक तथा स्लाव भाषाओं का भी अध्ययन किया जाने लगा तो इन भाषाओं में किसी-न-किसी प्रकार का पारिवारिक सम्बन्ध स्वीकार करना ही पड़ा। किन्तु, इन भाषाओं में इतनी अधिक समानता कैसे आ गई, और समानताओं के साथ-ही-साथ इतना अधिक अन्तर भी इनमें कैसे पड़ गया, यह रहस्य बना ही रहा और इसी कारण ऐसे अनेक अहैतुकवाद उठ खड़े हुए जो भाषाविज्ञान के मूल सिद्धान्तों के सर्वथा विपरीत है।

प्रश्न.
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए। .
(ख) संस्कृत की पहली विशेषता क्या है?
(ग) ग्रीक और लैटिन भाषाओं के बीच क्या समस्या थी?
(घ) सब भाषाओं की अग्रजा किसे कहा गया है ?

उत्तर

(क) पाठ का नाम भारत से हम क्या सीखें। .
लेखक का नाम मैक्समूलर।

(ख) संस्कृत की पहली विशेषता इसकी प्राचीनता है।

(ग) दोनों भाषाओं में विद्यमान समानता को कैसे व्यक्त की जाय, यह समस्या थी।

(घ) संस्कृत को सब भाषाओं की अग्रजा कहा गया है।


4. यदि आप लोगों को अत्यंत सरल राजनैतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से संबद्ध प्राचीन युग के कानून के पुरातन रूपों के बारे में इधर जो अनुसंधान हुए हैं, उनके महत्त्वं और वैशिष्ट्य को परखने की क्षमता प्राप्त करनी है, तो आपको इसके लिए आज भारत की ग्राम पंचायतों के रूप में इसके प्रत्यक्ष दर्शन का सुयोग अनायास ही मिल जाएगा। भारत में प्राचीन स्थानीय शासन-प्रणाली.या पंचायत-प्रथा को समझने-समझाने का बहुत बड़ा क्षेत्र विद्यमान है।

प्रश्न.
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) सरलतम और राजनैतिक इकाइयों की जानकारी का माध्यम क्या है?
(ग) गद्यांश का सारांश लिखें।

उत्तर

(क) पाठभारत से हम क्या सीखें। लेखक मैक्समूलर।

(ख) सरलतम और राजनैतिक इकाइयों की जानकारी भारत की ग्राम-पंचायत व्यवस्था के अध्ययन से प्राप्त की जा सकती है।

(ग) भारत की ग्राम-पंचायत व्यवस्था संसार की सबसे प्राचीन सरलतम् और राजनैतिक प्रशासनिक इकाई है। इससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।


5. अपने सच्चे आत्मरूप की पहचान में भारत का स्थान किसी भी देश के बाद दूसरे नम्बर ‘ पर नहीं रखा जा सकता। मानव-मस्तिष्क के चाहे किसी भी क्षेत्र को आप अपने विशिष्ट अध्ययन का विषय क्यों न बना लें, चाहे वह भाषा का क्षेत्र हो या-धर्म का, दैवत विज्ञान का हो या दर्शन का, चाहे विधिशास्त्र या कानून का हो अथवा रीति-रिवाजों व परम्पराओं का, प्राचीन काल या शिल्प का हो अथवा पुरातन का, इनमें से किसी में विचरण करने के लिए भले ही आप चाहें, न चाहें आपको भारत की शरण लेनी ही होगी, क्योंकि मानव इतिहास से सम्बद्ध अत्यन्त बहुमूल्य और अत्यन्त उपादेय प्रामाणिक सामग्री का एक बहुत बड़ा भाग भारत और केवल भारत में ही – संचित है।

प्रश्न.
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) आत्म रूप की पहचान की दृष्टि से भारत का संसार में क्या स्थान है?
(ग) किन-किन क्षेत्रों की विशिष्ट जानकारी के लिए भारत की शरण लेना जरूरी है?
(घ) गद्यांश का आशय लिखें।

उत्तर

(क) पाठ-भारत से हम क्या सीखें। लेखक- मैक्समूलर।

(ख) आत्मरूप की पहचान की दृष्टि से भारत का स्थान सर्वोपरि है।

(ग) भाषा, धर्म, दैवत विज्ञान, दर्शनशास्त्र, विधि या कानून, रीति-रिवाजों, परम्पराओं और प्राचीन कला या शिल्प एवं पुरातन विज्ञान की विशिष्ट जानकारी के लिए भारत सबसे उपयुक्त स्थान है।

(घ) आत्मरूप को पहचानने की दृष्टि से ही भारतीय साहित्य से बढ़कर कोई साहित्य ही नहीं है। साहित्य ही नहीं, दर्शनशास्त्र, कानून, प्राचीन शिल्प एवं कला, धर्म, दर्शन या भाषा की विस्तृत जानकारी की प्रचुर सामग्री भारत में उपलब्ध है।


6. एक भाषा बोलना एक माँ के दूध पीने से भी बढ़कर एकात्मकता का परिचायक है और भारत की पुरातन भाषा संस्कृत सार रूप से वही है जो ग्रीक, लैटिनं या एंग्लो सेक्सन भाषाएं हैं। यह एक ऐसा पाठ है, जिसे हम भारतीय भाषा और साहित्य के अध्ययन के बिना कभी न पढ़ पाते, और भारत यदि हमें इस एक पाठ के सिवा और कुछ भी न पढ़ा पाता तो भी हम इससे ही इतना कुछ सीख जाते जितना दूसरी कोई भाषा कभी नहीं सिखा पाती।

प्रश्न.
(क) पाठ और लेखक के नामों का उल्लेख करें।
(ख) एकात्मकता का सबसे बड़ा परिचायक क्या है?
(ग) भारतीय भाषा और साहित्य के अध्ययन के बिना हम क्या नहीं जान पाते हैं ?
(घ) इस गद्यांश का सारांश लिखिए।

उत्तर

(क) पाठ-भारत से हम क्या सीखें। लेखक- मैक्समूलर।

(ख) एकात्मकता का सबसे बड़ा परिचायक है एक भाषा बोलना। यह एक माँ का दूध पीने की भाँति है।

(ग) भारतीय भाषा और साहित्य के अध्ययन के बिना हम कभी न जान पाते कि संस्कृत भाषा भी साररूप से वही है जो ग्रीक, लैटिन या ऐंग्लो सेक्सन की भाषाएँ।

(घ) भारत की पुरातन भाषा संस्कृत सार- रूप से ग्रीक, लैटिन और ऐंग्लो सेक्सन की ही . भाषा है। इस बात का पता भारतीय साहित्य और इतिहास के अध्ययन के सिवा नहीं लगता।


7. संस्कृत तथा दूसरी आर्य भाषाओं के अध्ययन ने हमारे लिए बस इतना ही किया हो, सो बात भी नहीं है। इससे मानव जाति के बारे में हमारे विचार व्यापक और उदार ही नहीं बने हैं तथा लाखों-करोड़ों अजनबियों तथा बर्बर समझे जानेवाले लोगों को भी अपने ही परिवार के सदस्य की भाँति गले लगाना ही हम नहीं सीखें हैं, अपितु इसने मानव-जाति के सम्पूर्ण इतिहास को एक वास्तविक रूप. में प्रकट कर दिखाया है, जो पहले नहीं हो पाया था समूलर।

प्रश्न.
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) संस्कृत भाषा के अध्ययन से क्या लाभ हुए हैं ?
(ग) गद्यांश का आशय लिखें।

उत्तर

(क) पाठ- भारत से हम क्या सीखें।लेखक-मैक्समूलरा

(ख) संस्कृत भाषा के अध्ययन से मानव जाति के बारे में लोगों के विचार व्यापक हैं और सबने जाना है कि जिन्हें बर्बर समझते हैं, वे भी हमारे ही परिवार के सदस्य हैं।

(ग) संस्कृत ने बताया है कि सम्पूर्ण मानव-जाति एक है, संबकी भावनाएं एक-सी है और जिन्हें हम बर्बर कहते हैं वे भी हमारे परिवार के ही अंग हैं। उनसे घृणा करना उचित नहीं।


8. हम सब पूर्व से आए हैं। हमारे जीवन में जो भी कुछ अत्यधिक मूल्यवान है वह हम पूर्व से मिला है और पूर्व को पहचान लेने से ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को जिसने इतिहास की वास्तविक शिक्षा का कुछ लाभ उठाया है, भले ही प्राच्य-विद्या-विशारद न हो तो भी यह अनुभव अवश्य होगा कि वह नानाविध स्मृतियों से भरे अपने पुराने घर की ओर लौट रहा है।

प्रश्न.
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखें।
(ख) अपने प्राचीन बास-स्थान के बारे में लेखक का क्या ख्याल है ?
(ग) पर्व को पहचानने से किस विचार की पुष्टि होती है ?
(घ) गद्यांश का निष्कर्ष क्या है?

उत्तर

(क) पाठ-हम भारत से क्या सीखें। लेखक-मैक्समूलर।

(ख) लेखक का विचार है कि वे तथा अन्य लोग पूर्व से आए हैं।

(ग) पूर्व को पहचान लेने से इतिहास का ज्ञान न होने पर भी, यह स्पष्ट हो जाता है कि हम सभी पूर्व से आए हैं।

(घ) सभी सभ्यताओं के उत्सर्ग पूर्व में है पश्चिम के लोग भी पूर्व से हो गए हैं। जीवन में जो कुछ भी मूल्यवान है, वह पूर्व की ही देन है, यह इतिहास का सामान्य ज्ञान न रखने वाला भी आसानी से समझ सकता है।


9. भारत में धर्म के वास्तविक उद्भव, उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष परिचय मिल सकता है। भारत ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्ध धर्म की यह जन्मभूमि है, पारसियों के जरथुस्ट धर्म की यह शरणस्थली है। आज भी यहाँ नित्व नये मत-मतान्सर प्रकट व विकसित होते रहते हैं।

प्रश्न.
(क) भारत में किसका प्रत्यक्ष परिचय मिलता है?
(ख) लेखक ने भारत को ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि क्यों कहा है?
(ग) मत-मतानर के प्रकट और विकसित होने से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर

(क) भारत में धर्म के वास्तविक उद्भव, उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके । अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष.परिचय मिलता है।

(ख) भारत में सबसे पहले आर्य संस्कृति आयी थी। जैसे-जैसे वह संस्कृति बढ़ती गई भारत का स्वरूप बदलता चला गया ऋग्वेद वैदिक धर्म की ही देन है। आर्य ब्राह्मणों ने ही वैदिक संस्कृत को विकसित किया है। इसी आधार पर लेखक ने भारत को ब्राहमण या वैदिक धर्म की भूमि कहा है।

(ग) भारत विविध सम्प्रदायों का देश है। बाहर से आनेवाले धर्म भी इसके अभिन्न अंग
बनते चले गये। वर्षों बाद भी वे संस्कृतियों अक्षुण्ण हैं। सभ्यता-संस्कृति के विकास क्रम के साथ ही मत-मतान्तर विकसित होते आ रहे हैं।

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